आज इंसान विषैला है
इंसान और इंसानियत के बीच
फासले बहुत ही बढ़ने लगे हैं,
अपने गुणों को त्याग दिया
पशुत्व की ओर चलने लगे है।
इंसान, इंसान से ही आज
सबसे अधिक डरने लगा है,
कौन, किस रूप में कहां वार करे
इसलिए बहुत सावधानी बरतने लगा हैं।
जहरीला सांप होता है
पर आज इंसान विषैला है,
इंसान एक दूसरे को काटने लगे है
और सांप दूर बैठे ताकने लगे है।
वफादार होना था इंसान को
पर वह तो दगा देने लगा है,
इंसान से अधिक आज तो
कुत्ता वफादार होने लगा है।
अच्छे बनो, सारे गुण अपनाओ
हर पुस्तक में है लिखी हुई ,
दूसरों को सुधारने से पहले
खुद का तुम सुधार करो।
नीलू गुप्ता, शिक्षिका
सिलीगुड़ी, पश्चिम बंगाल